भारतवर्ष के दक्षिणी प्रान्त केरल के तिरुअनन्तपुरम शहर में स्थित भगवान विष्णु पदमनाभ स्वामी मन्दिर विष्णु भक्तों की एक महत्वपूर्ण आराधना स्थली है। यह तीर्थस्थल भारतवर्ष के प्रमुख वैष्णव मंदिरों में शामिल किया जाता है। तिरुअनन्तपुरम नगर में स्थित पद्मनाभ नामक यह ऐतिहासिक मंदिर देश एवं विदेश के पर्यटकों का प्रमुख आकर्षण का केंद्र भी माना जाता है। यह तीर्थस्थल केरल की संस्कृति एवं साहित्य का अनूठा संगम है। इसके एक तरफ खूबसूरत समुद्रतट स्थित है तो दूसरी तरफ पश्चिमी घाट में पहाड़ियों का अदभुत नैसर्गिक सौन्दर्य दृष्टिगत होता है और इन्हीं प्राकृतिक अमूल्य निधियों को संजोए हुए इन्हीं के मध्य पद्मनाभ स्वामी का प्राचीन मन्दिर स्थित है। इसकी स्थापत्य कला अवर्णनीय है और इस मंदिर के निर्माण में सूक्ष्मतम कारीगरी का अनुपम दृष्टान्त दृष्टिगत होता है। मान्यता है कि सर्वप्रथम भगवान विष्णु की मूर्ति इसी स्थान से प्राप्त हुई थी और उसी स्थान पर पद्मनाभ मंदिर बनवाकर इस मूर्ति की स्थापना कर दी गई थी। यह मंदिर जिस नगर में स्थित है उसे त्रिवेन्द्रम अथवा तिरुअनन्तपुरम के नाम से जाना जाता है।
भौगोलिक स्थित -:
भारत के दक्षिणी भाग में स्थित केरल राज्य के त्रिवेन्द्रम नगर में यह तीर्थस्थल स्थित है। भगवान विष्णु को समर्पित यह एक प्रसिद्ध हिन्दू मन्दिर माना जाता है। समुद्रतट एवं पहाड़ियों के मध्य बसा हुआ यह प्राचीन नगर अपने शान्तिपूर्ण वातावरण के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। केरल का प्रसिद्ध कोवलम बीच यहां से केवल १४ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। त्रिवेन्द्रम एक साफ सुथरा शहर है जो कोचीन से मात्र २१८ किलोमीटर तथा कन्याकुमारी से ८६ किलोमीटर की दूरी पर है। यह तीर्थस्थल हवाईमार्ग ,रेलमार्ग एवं सड़कमार्ग से केरल राज्य के अन्य नगरों से जुड़ा हुआ है।
पौराणिक एवं ऐतिहासिक साक्ष्य -:
पुराणों एवं अन्य हिन्दू धर्मशास्त्रों में इसका "अनन्तवनम" के नाम से उल्लेख मिलता है। भगवान विष्णु की प्राचीन मूर्ति इसी स्थल से मिलने एवं उसी स्थान पर पद्मनाभ मन्दिर की स्थापना के बाद इसे तिरुअनन्तपुरम कहा गया। तिरु शब्द भगवान विष्णु का पर्याय माना जाता है और अनन्त शब्द अनन्त नामक नाग के नाम पर रखा गया बताया जाता है। यहां पर भगवान विष्णु की विश्राम की मुद्रा के दृष्टिगत ही इन्हें पद्मनाभ की संज्ञा दी गई। यहां स्थित इस प्राचीन मन्दिर का समय समय पर स्थानीय राजाओं द्वारा नवनिर्माण कराया जाता रहा है। सन् १७३३ ई में इस मन्दिर का पुनर्निर्माण त्रावनकोर के महाराजा मार्तण्ड वर्मा द्वारा करवाया गया था। यहां पर भगवान विष्णु शेषनाग पर लेटी हुई विशालकाय मूर्ति की लम्बाई २२ फिट है। इसके गर्भगृह के तीनों दरवाजों से देखने पर यह मूर्ति अलग अलग रूप में दृष्टिगत होती है। पहले द्वार से देखने पर भगवान विष्णु शयन की मुद्रा में हाथ नीचे किये हुए तथा हाथ के नीचे शिवलिंग रखा हुआ दिखाई पड़ता है। दूसरे द्वार से केवल भगवान विष्णु के नाभि का दर्शन मिलता है तथा उनकी नाभि से कमल की उत्पत्ति प्रदर्शित की गई है जिस पर भगवान ब्रह्मा जी विराजमान हैं। तीसरे द्वार से भगवान विष्णु के केवल दोनों चरण ही दिखाई पड़ते हैं। यह मंदिर तिरुअनन्तपुरम नगर के मध्य में स्थित है और मंदिर के प्रवेश द्वार के गोपुरम की ऊँचाई एवं कारीगरी बहुत ही आकर्षक व भव्य है। इसका गर्भगृह काले पत्थरों से निर्मित है।
इस मंदिर का महत्व यहां के पवित्र परिवेश को प्रतिबिम्बित करता है। मंदिर में हमेशा धूपदीप का प्रज्ज्वलन तथा शंखनाद की ध्वनि देखने व सुनने को मिलती है। इस मंदिर में एक स्वर्ण स्तम्भ भी बना हुआ है जो मंदिर के सौन्दर्य की श्रीवृद्धि करता हुआ दिखाई पड़ता है। मंदिर के गलियारे में अनेकों स्तम्भ बने हुए हैं जिसपर सुन्दर नक्काशी की गई है। इस मन्दिर में प्रवेश हेतु पुरुषों के लिए धोती एवं महिलाओं के लिए साड़ी पहनना अनिवार्य है। इस मंदिर में केवल हिन्दुओं को ही प्रवेश की अनुमति दी जाती है। यहां वर्ष में दो बार उत्सव भी मनाया जाता है। पहला उत्सव मार्च -अप्रैल में कोटिपट्टू के नाम से और दूसरा उत्सव अक्टूबर -नवंबर में आरापट्टू के नाम से मनाया जाता है। मंदिर के वार्षिकोत्सव में लाखों की संख्या में देश एवं विदेश से श्रद्धालु यहां उपस्थित होते हैं और प्रभु पद्मनाभ स्वामी से अपनी सुख एवं शांति की कामना करते है। पद्मनाभ मंदिर सात मंजिला बना हुआ है जिसके प्रत्येक मंजिल पर हिन्दू देवी देवताओं के चित्र अंकित किये गए हैं। इसका गोपुरम द्रविण शैली में बनवाया गया है जो दक्षिण भारतीय वास्तुकला का जीवन्त एवं अदभुत उदाहरण है।
अन्य दर्शनीय स्थल -:
पद्मनाभ मन्दिर का परिसर बहुत ही भव्य एवं विशाल है। इसके परिसर में पद्मतीर्थकुलम नामक एक सरोवर स्थित है जिसमें स्नान करके दर्शनार्थी मंदिर में भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप का दर्शन करते हैं। तिरुअनन्तपुरम में पद्मनाभ मंदिर के अतिरिक्त अन्य धार्मिक स्थल भी दर्शनीय हैं जिनमें भगवती क्षेत्रम ,भद्रकाली क्षेत्रम,जामा मस्जिद,कृष्णनकोविल मंदिर,गणेश मंदिर,महादेव क्षेत्रम,कंटकेश्वर क्षेत्रम प्रमुख हैं। यहां पर ईसाई धर्म के स्थल जैसे क्राइस्ट चर्च आव इंडिया,जोसफ कैथीड्रल एवं संत मेरीज चर्च भी स्थित हैं।
पद्मनाभ मन्दिर प्रतिदिन दोपहर १२ बजे बंद हो जाता है और सांयकाल ५ बजे पुनः दर्शनार्थ खोला जाता है। यहां का कोटिपट्टू एवं आरापट्टू उत्सव विश्वप्रसिद्ध हैं। यह मंदिर समृद्धशाली मंदिरों में से एक माना जाता है क्योंकि उच्चतम न्यायालय के आदेश पर पद्मनाभ मन्दिर के तहखानों को खोलकर उसमें रखी हुई सम्पत्ति की गणना कराए जाने की कार्यवाही चल रही है। इन तहखानों में लगभग दो लाख करोड़ रुपये की सम्पत्ति होने का अनुमान लगाया गया है। तहखाना "बी" को खोले जाने पर अभी रोक लगी हुई है। उच्चतम न्यायालय द्वारा यह भी आदेश दिए गए हैं कि इस मंदिर की सुरक्षा एवं पवित्रता बनाए रखने का उत्तरदायित्व राज्य सरकार का है।